Dr Aditi dev

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लेखनी प्रतियोगिता -16-Jun-2022 महक


“महकता आँगन”

जो आयी ख़बर तेरे आने की,
महका मेरा आँगन तेरी ख़ुश्बू से।

हुआ जो तुम्हारे आने का एहसास
खिल उठे फ़ूल ख़ुशियों के बेहिसाब।

जाग उठे अरमान दिल में,
बस अब तो तुमसे ही है ,आस मिलने के।

चली हवा भी मीठी सी,
बारिश जो हुई थोड़ी सी।

तुम्हारे आने की ख़ुशी में,
मिट्टी भी महकने लगी सौंधी सी।

सितारे भी इंतज़ार में है बैठे ,
गली में चाँद जो निकलने वाला है मेरा।

कशिश है बस मिलने की तुझसे,
रूह में बस चुकी है महक तेरी।

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9 Comments

Pallavi

18-Jun-2022 10:04 PM

Nice post 😊

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Seema Priyadarshini sahay

17-Jun-2022 03:53 PM

बेहतरीन

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Shrishti pandey

17-Jun-2022 03:21 PM

Nice

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